Nigaho me manzil thi, gire or gir kar sambhalte rhe
havao ne to bahut koshish ki,
magar chirag aandhiyo me bhi jalte rhe.
New Shayari
निगाहों में मंजि़ल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे
हवाओ ने तो बहुत कोशिश की,
मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।
Nigaho me manzil thi, gire or gir kar sambhalte rhe
havao ne to bahut koshish ki,
magar chirag aandhiyo me bhi jalte rhe.
निगाहों में मंजि़ल थी, गिरे और गिर कर संभलते रहे
हवाओ ने तो बहुत कोशिश की,
मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।
1 Comments
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