ek tir ko piche ki or khinchakar hi choda ja sakta hai
jab jindagi aapo musibato ke sath piche khinch rhi ho,
tab samaj lijie ki vo aapko behatar disha me chodne vali hai

एक तीर को पीछे क्यों खींच कर ही छोड़ा जा सकता है
जब जिंदगी आपको मुसीबतों के साथ पीछे खींच रही हो,
तब समझ लीजिए कि वह आपको बेहतर दिशा में छोड़ने वाली है